hindisamay head


अ+ अ-

बाल साहित्य

सूर्य नारायण

अपर्णा शर्मा


सूर्य नारायण दर्शन दो,
थोड़ा सर्दी को हर लो।

रात और दिन हुए बराबर,
रहते दिन भर घर में बंद।
आखिर कब तक रहें ठिठुरते,
इसको थोड़ा कम कर दो।
सूर्य नारायण दर्शन दो,
थोड़ा सर्दी को हर लो।

कोहरे से सब धुँधला है,
वाहन लगें खिसते से।
चाल है बदली गाड़ी की,
इसको प्रभु चलता कर दो।
सूर्य नारायण दर्शन दो,
थोड़ा सर्दी को हर लो।

पापाजी ठिठुरे जाते हैं,
आँफिस तो पर जाना है।
मम्मी कुड़-कुड़ करती रहती,
खाना मगर बनाना है।
सूर्य नारायण दर्शन दो,
थोड़ा सर्दी को हर लो।

घर से जरा निकलते हैं,
डाँट पड़ जाती है।
आखिर कितने कपड़े पहनें,
बोझा कुछ हल्का कर दो।
सूर्य नारायण दर्शन दो,
थोड़ा सर्दी को हर लो।

सूर्यदेव भी शायद अब,
सर्दी से बेहाल हुए।
इसीलिए आते देरी से,
सोच रहे हैं कुछ सो लें।
सूर्य नारायण दर्शन दो,
थोड़ा सर्दी को हर लो।


End Text   End Text    End Text